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माँ भद्रकाली मंदिर परिसर
ईटखोरी,
चतरा (झारखण्ड)
उत्सव’ का अर्थ है जीवन में नई चेतना की संचार करना। हमारा मन और जीवन दोनों ही उत्सवधर्मी है। इस देश में ये उत्सव हमारे मन में अपनी संस्कृति की समझ पैदा करते हैं। हमारी उत्सवधर्मि ता समाज को एकसूत्र में बांधने में सहायक है और हमें संगठि त होकर जीना सि खाती है, सहभागि ता और आपसी समन्वय की सौगात देती है। एक साथ
कोई उत्सव मनाने से न केवल समाज की नींव मजबूत होती है, बल्कि हर स्तर पर सौहार्द और मेल-मि लाप बढता है।
ईटखोरी महोत्सव का आयोजन इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखकर चतरा जिला प्रशासन की तरफ से कि या जाता है। इसका उद्देश्य है कि समाज में मानवीय गुणों की स्थापना हो और लोगों के बीच प्रेम और एकता बढे। यह महोत्सव यहां के लोगों के जीवन में नए उत्साह का संचार करने का एक प्रयास है जि ससे लोगों के जीवन में गति बनी रहे।
श्रम नियोजन प्रशिक्षण, कौशल विकास विभाग एवं उद्योग विभाग,
झारखण्ड सरकार
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, निबंधन विभाग तथा पर्यटन, कला संस्कृति, खेल – कूद एवं युवा कार्य विभाग,
झारखण्ड सरकार
एस पी, चतरा
एसडीओ, चतरा
नोडल टूरिज्म ऑफिसर, चतरा
– संत तुलसीदास / रामचरितमानस
माँ भद्रकाली मंदिर परिसर
ईटखोरी,
चतरा (झारखण्ड)