संदेश
माननीय श्री रमेश बैस
राज्यपाल, झारखण्ड
हेमंत सोरेन
मुख्यमंत्री, झारखण्ड सरकार
सत्यानंद भोक्ता
श्रम नियोजन प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग,
झारखण्ड सरकार
हफीजुल हसन
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, निबंधन विभाग तथा पर्यटन, कला संस्कृति, खेल – कूद एवं युवा कार्य विभाग,
झारखण्ड सरकार
यह जानकर मुझ अपार हर्ष एवं गर्व की अनुभूति हो रही है कि प्रकृति की अद्भुत विरासत ‘चतरा’ की पावन भूमि जहाँ विभिन्न धर्मों का उत्कृष्ठ समागम है तथा जहाँ की संस्कृति
अद्भुत भारतीय वांग्मय का प्रदर्शन करती है वहाँ 19 फरवरी 2023 से 21 फरवरी 2023 तक राजकीय इटखोरी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। चतरा जिला का गौरवमयी इतिहास रहा है। सनातन परंपरा, बौद्धमत, जैनमत, सहित सभी सांस्कृतिक-धार्मिक इतिहास को परिलक्षित करने वाला यह वैभवशाली स्थल है।
चतरा में दुआरी, खैवा-बनारू, केरीदही, मालुदह, तमासिन, डूमैर-सुमैर एवं गोवा इत्यादि कई
स्थल हैं जहाँ पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इटखोरी प्रखण्ड में भदुली (भद्रकाली) झारखण्ड
का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। इसका नामकरण बौद्धकालीन है जो ‘‘इति खोई’’ का बदला
हुआ रूप है। चतरा जिला में पर्यटन के साथ-साथ आस्था के भी कई केन्द्र हैं जिसमें भद्रकाली
मंदिर, माँ कौलेश्वरी धाम, चुन्दुरू धाम, भवानी मठ, केदली का गुýद्वारा एवं बरूरा शरीफ जैसे
सांस्कृतिक स्थल प्रमुख है। मुझे विश्वास है कि यह महोत्सव चतरा जिला के कला-कौशल,
मूर्तिकला एवं बहुआयामी संस्कृति केा पल्लवित एवं पुष्पित होने में महत्वपूर्ण योगदान देगा, साथ
पर प्रदर्शित करेगा।
जिला प्रशासन द्वारा इस अवसर पर सचित्र पर्यटन पुस्तिका का प्रकाशन
किया जा रहा है, जो सराहनीय है। महोत्सव के सफल आयोजन व पुस्तिका के प्रकाशन हेतु
मेरी अशेष शुभकामनाएँ।
सुनील कुमार सिंह
सांसद, झारखण्ड सरकार
यह मेरे लिए अत्यंत हर्ष एवं गर्व का विषय है कि जिला प्रशासन, चतरा द्वारा ‘‘राजकीय इटखोरी महोत्सव-2023’’ का आयोजन किया जा रहा है। माँ भद्रकाली परिसर में राजकीय इटखोरी महोत्सव का आयोजन चतरा के लिए एक अविस्मरणीय क्षण है, जो इस क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित हो रहा है। उपनिषद का यह अमर संदेश है – ‘‘सत्यं वद, धर्मं चर! धर्माचरण कर सत्य के साक्षात्कार हेतु हमारे यहाँ नाना मतों-पंथों-संप्रदायों का सृजन हुआ और इनमें से प्रत्येकने अपने विशिष्ट अनुभव के अनुरूप विविध धर्मपीठों को स्थापित किया। ‘एकं सद्विपा बहुधा वदन्ति’- यह हमारा सनातन उद्घोष है। इटखोरी इसका ज्वलंत उदाहरण है जहाँ शैव-शाक्त-वैष्णव-जैन और बौद्ध मतों का अनूठा संगम हुआ है। माँ भद्रकाली मंदिर, भगवान गौतम बुद्ध की तपो यात्रा के पड़ाव एवं जैन धर्म के दसवें तीर्थकर भगवान शीतलनाथ स्वामी की जन्मभूमि के रूप में यह एक ऐतिहासिक स्थल हैं।
दिनाक 19, 20, एवं 21 फरवरी को होने वाले कार्यक्रम से इटखोरी समेत सम्पूण जिले की पौराण्
िाक पहचान को एक नया आयाम मिल रहा है। चतरा जिला ऐतिहासिक प्राचीन सभ्यता एवं सांस्कृ.
तिक दृष्टिकोण से अत्यंत धनी है। इटखोरी प्रखण्ड में भदुली (भद्रकाली) झारखण्ड का एक प्रमुख
तीर्थ स्थल है। इसका नाकमरण बौद्धकालीन है जो ‘‘इति खोई’’ का बदला हुआ रूप है। महोत्सव
आयोजन से देश के सुदूरवती्र क्षेत्रों से आये हुए लोगों को चतरा में पर्यटन, उद्योग व रोजगार की
संभावनाओं को जानने व यहाँ के समृद्ध इतिहास को अनुभव करने का अवसर मिलेगा।
मैं ‘‘राजकीय इटखोरी महोत्सव-2023’’ के सफल आयोजन एवं इस अवसर पर प्रकाशित की जा
रही सचित्र पर्यटन पुस्तिका के प्रकाशन हेतु जिला प्रशासन, चतरा एवं महोत्सव से जुड़े हुए सभी लोगों को शुभकामनाएँ देता हूँ।
दिनांक: 31 जनवरी 2023
शुभेच्छु (सुनील कुमार सिंह)
किशुन कुमार दास
सदस्य, झारखण्ड विधान सभा 26, सिमरिया सदस्य , शून्य काल समिति
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माँ भद्रकाली मंदिर परिसर
ईटखोरी,
चतरा (झारखण्ड)